खुलते तो हैं पृष्ठ

खुलते तो हैं पृष्ठ हवा को छूकर इस मन की पुस्तक के
सुधियों वाली जो संध्या की गलियों में टहला  करती है
पी जाती है पर आंखों में तिरती हुई धुंध शब्दों को
और रिक्तता परछाई बन  कर आंगन में आ तिरती है
 
 
हो जाती है राह तिरोहित, अनायास ही चलते चलते
एक वृत्त में बन्दी बन कर लगता है पग रह जाते हैं
अधरों पर रह रह कर जैसे कोई बात लरज जाती है
लेकिन समझ नहीं आ पाता उमड़े स्वर क्या कह जाते हैं
 
 
बिखराने लगता है चढ़ता हुआ अंधेरा स्याही जैसे
सपनों की दहलीजों पर बन ओस फ़िसलती है गिरती है
और मौन की प्रतिध्वनियां बस देखा करती प्रश्न चिह्न बन
जैसे ही तारों से कोई तान बांसुरी की मिलती है
 
 
भटकन लौट लौट  कर आती है टकराते हुये क्षितिज सेे
आकारों के आभासों से जुड़ता नहीं नाम कोई भी
दीपक रोज जला कर रखता है दिन ला अपने आले में
मुट्ठी में भर रख लेती है उसकी रश्मि सांझ  सोई सी
 
 
हँसिये का आकार चाँद ले लेता हाथ रात का छूकर
सपनों के पौधे उग पाने से पहले ही कट जाते हैं
बिखरे हुये विजन की गूँगी आवाज़ों को खोजा  करते
अवगुंठित हो इक दूजे में निमिष प्रहर सब घुल जाते हैं

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

अत्यन्त प्रभावशाली अभिव्यक्ति..

Udan Tashtari said...

हँसिये का आकार चाँद ले लेता हाथ रात का छूकर
सपनों के पौधे उग पाने से पहले ही कट जाते हैं

-adbhut!!!!

Anonymous said...

प्रिय ब्लॉगर मित्र,

हमें आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है साथ ही संकोच भी – विशेषकर उन ब्लॉगर्स को यह बताने में जिनके ब्लॉग इतने उच्च स्तर के हैं कि उन्हें किसी भी सूची में सम्मिलित करने से उस सूची का सम्मान बढ़ता है न कि उस ब्लॉग का – कि ITB की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगों की डाइरैक्टरी अब प्रकाशित हो चुकी है और आपका ब्लॉग उसमें सम्मिलित है।

शुभकामनाओं सहित,
ITB टीम

पुनश्च:

1. हम कुछेक लोकप्रिय ब्लॉग्स को डाइरैक्टरी में शामिल नहीं कर पाए क्योंकि उनके कंटैंट तथा/या डिज़ाइन फूहड़ / निम्न-स्तरीय / खिजाने वाले हैं। दो-एक ब्लॉगर्स ने अपने एक ब्लॉग की सामग्री दूसरे ब्लॉग्स में डुप्लिकेट करने में डिज़ाइन की ऐसी तैसी कर रखी है। कुछ ब्लॉगर्स अपने मुँह मिया मिट्ठू बनते रहते हैं, लेकिन इस संकलन में हमने उनके ब्लॉग्स ले रखे हैं बशर्ते उनमें स्तरीय कंटैंट हो। डाइरैक्टरी में शामिल किए / नहीं किए गए ब्लॉग्स के बारे में आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा।

2. ITB के लोग ब्लॉग्स पर बहुत कम कमेंट कर पाते हैं और कमेंट तभी करते हैं जब विषय-वस्तु के प्रसंग में कुछ कहना होता है। यह कमेंट हमने यहाँ इसलिए किया क्योंकि हमें आपका ईमेल ब्लॉग में नहीं मिला।

[यह भी हो सकता है कि हम ठीक से ईमेल ढूंढ नहीं पाए।] बिना प्रसंग के इस कमेंट के लिए क्षमा कीजिएगा।

नव वर्ष २०२४

नववर्ष 2024  दो हज़ार चौबीस वर्ष की नई भोर का स्वागत करने खोल रही है निशा खिड़कियाँ प्राची की अब धीरे धीरे  अगवानी का थाल सजाकर चंदन डीप जला...